माँ मेरी प्यारी माँ
माटी की दिया सी मेरी प्यारी माँ
तुम जलती हो लौ बन कर
अपनी ममता पिघला कर
और रौशन करती दु निया माँ
मेरी प्यारी माँ
तुम्हारे जगने से सुबह होती है
सूरज को अर्घ्य देती मेरी माँ
साँझ को सांध्य दीप जला कर
सृष्टी में उजाला भर देती हो माँ
मेरी प्यारी माँ
हमारा उठना बैठना रोना हंसना
बचपन के खेल हो या रूठना
तुम्हारे दिल पर छपा है माँ
मेरी प्यारी माँ
तुम क्या हो शायद तुम्हे पता नही
तुम्हारे सब होने क हमे पता है माँ
राम हो कृष्ण हो ईसा हो या पैग़ंबर
तुम्ही ने ईश्वरत्व दिया है उनको माँ
मेरी प्यारी माँ
अपनी ममता के घेरे में रख कर
तुमने ही तो हमे बनाया है माँ
हम तभी तक हैं जब तक तुम हो
अन्यथा हम अनाथ हो जायेंगे माँ
मेरी प्यारी माँ
माटी की दिया सी मेरी प्यारी माँ
तुम जलती हो लौ बन कर
अपनी ममता पिघला कर
और रौशन करती दु निया माँ
मेरी प्यारी माँ